ग्रहों
केमंत्रीमडल में मंगल को सेनापति का स्थान प्राप्त है। सेनापति वह होता हैं, जिसमें
नेतृत्व करने की क्षमता होती हैं। सम्पूर्ण सेना का कार्यभार सेनापति के कंधो पर ही
होता हैं। हम अंदजा लगा सकते है कि इतने लोगो
का नेतृत्व करने के लिए व्यक्ति को कितनी उर्जा की आवश्यकता होगी। मंगल को ज्योतिष
जगत में Energy Source के रूप में जाना जाता है। वास्तु में इन्हे दक्षिण दिशा का स्वामित्व
प्राप्त हैं। हमारे शास्त्रों / वेदों में दक्षिण दिशा में शयनकक्ष के प्रावधान होने
का कारण भी शायद यही रहा हो। शयनकक्ष में स्थित व्यक्ति रातभर मंगल की उर्जा का अवशोषण
करता हैं। जिससें वह परिवार के साथ-साथ समाज व कार्यक्षेत्र पर भी आसानी से Command
कर सकें।
नवग्रहों में प्रत्येक ग्रह
को अपना-अपना कारकत्व प्राप्त होता है। जैसे सूर्य पिता, सरकारी या स्वयं का व्यवसाय,
अधिकारियों के साथ सामंजस्य का कारक है। शरीर में आत्मा, हड्डी, सिर का प्रतिनिधित्व
करता है। इसी प्रकार मंगल छोटे भाई-बहन, मामा, शरीर के घाव, फोडे-फून्सी, गांठ, संकल्पशक्ति,
वाद-विवाद, झगड़े, रक्त, पित्त, साहस, शोर्य आदि का कारक है। मंगल प्रधान व्यक्ति में
मंगल के रहन-सहन गुण देखने को मिलते हैं।
मंगल एक ऊर्जात्मक ग्रह है,
जब ये पत्रिका में किसी भी प्रकार व्यक्ति को प्रभावित करते हैं तो भूमि-भवन, कोर्ट-कचहरी,
साहस, तर्कशक्ति व अहम आदि से संबंधित विषयों से हानि-लाभ दिलवातें हैं। यदि पत्रिका
में मंगल की स्थिती, गोचर व षडबल अच्छा हो तो व्यक्ति जीवन में सफलता के नये-नये रास्ते
खुलने का यही समय होता हैं। वही यदि मंगल कमजोर, अस्त या शत्रु हो तो भारी कठिनाईयों
का सामना करता है।
पत्रिका
में स्थित मंगल का फल अच्छा या खराब प्राप्त होगा ये पत्रिका में चल रही दशा-अन्तर्दशा
केसाथ-साथ गोचर पर भी निर्भर होता हैं। गोचर राशि से किस भाव में किस राशि से किस ग्रह
के साथ व किन ग्रहों कि दृष्टि है भी मायने रखता हैं।
4 फरवरी 2014 को दोपहर 2:24
पर मंगल कन्या राशि से तुला राशि में प्रवेश करेंगें।
मंगल अग्नितत्व ग्रह है और तुला जो कि
वायुतत्व राशि हैं। अर्थात अग्नि+वायु का संयुक्त प्रभाव इन दिनों देखने को मिलेगा।
तुला राशि में उत्तराफाल्गुनी, हस्त व चित्रा नक्षत्र आतें जिसके स्वामि सूर्य, चंद्रमा
व मंगल हैं। ज्योतिष में सूर्य आत्मा ,अधिकारी वर्ग, चंद्रमा मन, तकनिकी विभाग हैं
और तुला राशि के स्वामी ग्रह शुक्र हैं जो कि स्त्री के कारक हैं। मंगल, सूर्य, चंद्रमा व शुक्र का संयुक्त असर हमें
व्यक्ति समाज व देश में देखने को मिलेगा ये असर Positive व Negative दोनो देखने को मिलेगा। एक ओर जहॉ स्त्रीयो
से संबंधीत अपराध बढेगें। स्त्रीयॉ का देश में प्रभुत्व बढेगा। वही दुसरी ओर अफसरो,
नेताओं में भी खीचातानी देखने को मिलेगी। Real Estate का कारोबार बढेगा साथ ही भूमि
से संबंधित धोखाधडी के मामलो में भी वृद्धि होगी। अपराधिक मामले इस दौरान जयादा सक्रीय
होगें।
मंगल का प्रत्येक राशि के व्यक्तियों
पर अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा:-
मेष:-
आपकी राशि मिथुन से गोचरवश मंगल सप्तम भाव में स्थित हैं। जन्मपत्रिका में सप्तम भाव
स्त्री, साझेदारी (व्यापारिक), व्यापार आदि से संबंधित है। मंगल यहाँ स्थित होकर स्त्री
से कलह, स्त्री के स्वास्थ्य संबंधी समस्या, यदि व्यापार साझेदारी का है तो साझेदारी
द्वारा आर्थिक नुकसान होता है, जिसके परिणामस्वरूप आप पर आर्थिक संकट उत्पन्न होता है। मानसिक व शारीरिक
कष्ट होता है। भइयो से विरोध स्वयं को कष्ट नेत्र विकार की संभावना बनी रहेगी, वैवाहिक
सुख न के बराबर प्राप्त होगा। किन्तु मामा व संतान पक्ष से लाभ होता है। अविवाहितों
के विवाह संबंधी मामलो गोचर के उत्तराद्र्ध
में आगें बढेगें।
वृषभ:-
आपकी राशि में मंगल छठे भाव में गोचर कर रहे हैं।
छठा मंगल आपको अन्न, धन, बल, शत्रुओं पर विजय, यश प्राप्ति करवाता है। कार्यस्थल
पर भी आपके कार्यों की प्रशंसा होगी। यदि आप नोकरी करते हैं तो अधिकारी वर्ग अब आपके
अनुकूल हो चलेंगे। अभी तक जो ऋण प्रबन्ध नही हो पा रहे थे वो अब धीरे-धीरे आगे बढने
लगेंगें। विद्यार्थी वर्ग को आशनुकूल परिणाम प्राप्त होगें। प्रतियोगी परिक्षाओ में
सफलता प्राप्ति का प्रतिशत बढेगा, यदि पत्रिका में अन्य ग्रहो के साथ-साथ दशा भी अनुकूल
रही तो सफलता निश्चित है।
मिथुन:-
आपकी राशि केअनुसार मंगल पंचम भाव में गोचर कर रहे हैं। मंगल का यह गोचर आपके लिए कष्टकारी
रहेगा। यदि आप व्यापार करते हैं तो हानि होगी और नौकरी करते हैं तो अधिकारी वर्ग से
परेशानी आएगी। समाज में प्रतिष्ठा घटने लगेगी। संतान को कष्ट होगा। इस समय जिन्हें
संतान होने की उम्मीद चली आ रही है अर्थात् प्रेगेनेन्सी कन्फर्म हो चुकी थी, उन्हें
विशेष ध्यान रखना चाहिए। यह गोचर उनकी संतान के लिए अत्यनत कष्टकारी है। संतान लक्ष्य
की प्राप्ति के लिए अनैतिक तरीका न अपनाए अन्यथा भारी हानि उठानी होगी।
कर्क:-
आपकी की जन्मराशि से मंगल गोचरवश चतुर्थ भाव में आ गए हैं, जन्मपत्रिका का चतुर्थ भाव
जमीन-जायदाद, माता, रिश्ते-नाते, सुख-सुविधा, शिक्षा आदि से संबंधित होता है। मंगल
का यह गोचर चतुर्थ भाव से संबंधित प्रत्येक विषयों पर विपरीत प्रभाव डालेगा, जैसे माता
को शारीरिक कष्ट, शत्रु वृद्धि, स्त्री को कष्ट, कार्यस्थल पर असफलता, आय के साधनों
में कमी, ज्वर, वक्षस्थल या रक्त विकार से संबंधित रोग, शत्रु वृद्धि, स्वजनों का विरोध,
स्वयं के बल व पराक्रम में कमी होगी।
सिंह:- आपकी राशि से मंगल का गोचर तृतीय भाव में हो रहा
है। मंगल का यह गोचर अच्छा होता है। पत्रिका का तृतीय भाव अन्य विषयों के साथ-साथ बल
व पराक्रम से संबंधित भी होता है और मंगल ऊर्जावान व पराक्रम से संबंधित ग्रह हैं।
पिछले समय से चली आ रही समस्याएँ समाप्त
होने लगेगी। आपके शत्रु जो अब तककिसी न किसी रूप में परेशान कर रहे थे, अब आपका कुछ
भी नहीं बिगाड़ पाएंगे। आप अपने अंदर एक नवीन ऊर्जा को महसूस करेंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा
बढ़ेगी। कोर्ट-कचहरी के मामले अब आपकेअनुकूल हो चलेंगें।
कन्या:-
आपकी राशि से मंगल द्वितीय भाव में गोचर कर रहे हैं। पत्रिका का द्वितीय भाव, धन, कुटुम्ब,
वाणि आदि से संबंधित होता है। मंगल चूंकिऊर्जात्मकग्रह हैं और धनु राशि भी अग्नि तत्व
है अर्थात् ऊर्जा ऊर्जा का भयंकर प्रवाह आपकी वाणि में देखने को मिलेगा, जिसके प्रभाव
से लोग आपसे दूरी बनाने लगेंगे। जहाँ द्वादश शनि साढ़े साती के द्वारा कष्ट पहुंचाना
शुरु कर चुके थे, वही मंगल आग में घी का कार्य
करेंगे। यदि आप विवाहित हैं तो जीवन साथी के साथ मतभेद बढ़ेगा। आपको चाहिए की आप मंगल
देव की आराधना करें।
तुला:-
इस समय मंगल का गोचर आपकी राशि पर से हो रहा
है। आपकी राशि धनु तथा ग्रहों में मंगल दोनों ही ऊर्जा प्रधान ग्रह हैं, परिणामस्वरूप
मन बैचेन रहेगा, वाहन से कष्ट, संतान से व संतान को कष्ट, कार्यक्षेत्र पर अधिकारी
वर्ग से परेशानी, व्रण, ज्वर या रक्त विकार, जीवन साथी को कष्ट आदि परिणाम प्राप्त
होंगे। यात्राओं में भारी कष्ट होगा, जमीन-जायदाद से संंबंधित मामलों में हानि उठानी
पड सकती हैं।
वृश्चिक:-
आपकी जन्मराशि से मंगल गोचरवश द्वादश भाव में हो रहा है। मंगल का यह गोचर शुभ नहीं
होता है। पत्रिका का प्रत्येकभाव से 12वाँ भाव उस भाव की हानि करता है अर्थात् द्वादश
मंगल शारीरिककष्ट, नेत्र रोग, जीवन साथी को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी, मान-सम्मान में
कमी प्राप्त हो सकती हैं।
पंचम भाव पुत्र से संबंधित होता है और
पंचम से अष्टम द्वादश भाव हुआ, जिसके परिणामस्वरूप संतान पक्ष को यर संतान से कष्ट
प्राप्त हो सकता है। यदि संतान किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में लगी हो तो सफलता
मिलना मुश्किल होगा।
धनु:-
मंगल आपकी राशि में एकादश भाव में गोचर कर रहे हैं। पत्रिका का एकादश आय, बड़े भाई-बहन,
लाभ सिद्धि, वैभव आदि विषयों से संबंधित होता है। मंगल का इस भाव से गोचर एकादश भाव
से संबंधित विषयों की प्राप्ति को दर्शाता । लाभ के साधन, व्यापार आदि इस गोचर में
बढेगें। भाईयों का सहयोग प्राप्त होगा। शत्रु स्वत: ही परास्त होगें। कार्यों में सफलता
मिलेगी।अविवाहित के विवाह संबंधी मामनले आगे बढेगें। इस समय आपको वाणी पर नियंत्रण
रखना चाहिए।
मकर:-
जन्म पत्रिका का दशम भाव व्यवसाय, नौकरी, मान-सम्मान, ज्ञान, पिता, कर्म, कीर्ति, जय-विजय
आदि से संबंधित होता है। मंगल अपनी राशि मकर से दशम में गोचर कर रहे हैं। मंगल जहाँ
अपनी राशि मेश से चतुर्थ है, वही दूसरी राशि वृश्चिक से द्वादश भी हैं। अत: इस समय
कोई नवीन योजनाओ का क्रियांवयन न करे अन्यथा हानि उठानी पड सकती हैं।
कुंभ:-
नवम भाव भाग्य व द्वितीय धन, कुटुम्ब से संबंधित है। मंगल इस गोचर में आपको जहाँ एकऔर
धन प्राप्ति व भाग्य बढ़ायेंगे, वहीं दूसरी ओर आपमें एकअसीम ऊर्जा भी प्रवाहित करेंगे।
व्यापार से लाभ होगा। भूमि-भवन से संबंधित मामले जोर पकड़ेंगे। पद-प्रतिष्ठा बढ़ेगी।
अब तक आपको जो शारीरिक व मानसिक
कष्ट प्राप्त हो रहा था, उसमें अब धीरे-धीरे सुधार होने लगेगा। इस गोचर में छुट-पुट
शत्रु उत्पन्न होंगे, धन की कमी सताने लगेगी, वहीं उत्तराद्र्ध में समस्त समस्याओं
से छुटकारा प्राप्त होगा। कार्यस्थल पर आपके कार्या की प्रशंसा होगी। भूमि-भवन संबंधी
मामले जोर पकडेगें।
मीन:-
मंगल का यह गोचर आपके लिए कष्टकारी रहेगा क्योंकि इस समय मंगल आपकी राशि से अष्टम भाव
अर्थात् आयु भाव में गोचरवश आ गए हैं। मंगल की यह स्थिति आपकी आय के स्त्रोत को भी
प्रभावित करेगी। गुदा प्रदेश केआस-पास या नेत्र
से संबंधित रोग हो सकतें हैं। आयु का हृास, परेदेश-गमन, बल व पराक्रम को भी प्रभावित
करेंगे। इस समय आपको चाहिये आप हनुमान जी की भरपूर सेवा करें।